Tuesday, 14-05-2024
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शिक्षक संघ के नेताओं को बायोमेट्रिक से छुट देने के आदेश से आम शिक्षक शिक्षामित्र और अनुदेशक अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं - धर्मेंद्र पटेल

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सूरज मौर्या टाइमलाइन न्यूज़ हिंदी संवाददाता 

बरेली। शिक्षा निदेशक बेसिक शिक्षा प्रताप सिंह बघेल द्वारा जारी आदेश इन दिनों शिक्षक समाज के सोशल मीडिया ग्रुपों में खूब वायरल हो रहा है इस आदेश में शिक्षा निदेशक द्वारा शिक्षक संघ के पदाधिकारीयों को बायोमेट्रिक उपस्थिति में छूट देने से आम शिक्षक, शिक्षामित्र और अनुदेशकों में असंतोष व्याप्त है। इस आदेश को लेकर प्राथमिक शिक्षा मित्र संघ के वरिष्ठ नेता धर्मेंद्र पटेल ने आपत्ति दाखिल करते हुए कहा है कि सभी शिक्षक संगठन के प्रदेश अध्यक्ष महामंत्री पदाधिकारी से आग्रह किया है कि इसका कड़ा विरोध करें। क्योंकि इस आदेश से शिक्षक समाज में भारी रोष व्याप्त है।


वर्तमान समय में अधिकांश शिक्षक नेता अपने निजी स्वार्थ में लगे रहते हैं और शिक्षक हित में कहीं भी दिखाई नहीं देते। इतना ही नहीं शासन प्रशासन द्वारा शिक्षक और शिक्षक पदाधिकारियो में मतभेद पैदा करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है। वहीं कुछ संगठनों के प्रदेश अध्यक्ष, महामंत्री एवं शिक्षक संघ के पदाधिकारियों को बायोमेट्रिक उपस्थिति से छूट प्रदान किये जाने के आदेश का गोपनीय तरीके से समर्थन कर रहे हैं। क्योंकि कुछ तथाकथित पदाधिकारी लगातार अधिकारियों नेताओं के साथ मिलकर इस बायोमेट्रिक आदेश से निजी स्वार्थ के लिए छूट पाना चाहते हैं। शायद इसीलिए ऐसा आदेश जारी कर दिया गया है, जो शिक्षक हित में बिल्कुल उचित नहीं है। इससे शिक्षक समाज में असमानता, द्वेष और अविश्वास पैदा होना निश्चित हैं। शिक्षक समाज की इतनी ज्यादा समस्याएं हैं जिनका निस्तारण आज तक शिक्षा निदेशक के स्तर से नहीं किया जा सका है लेकिन जहां बायोमेट्रिक उपस्थिति की बात आई वहां पर इन तथाकथित शिक्षक संघ के नेताओं ने अपनी बात को राज्य स्तरीय अधिकारियों से मिलकर गोपनीय तरीके से राहत लेने की जुगत बना ही ली। इसे शिक्षक समाज पूरी तरह से समझ चुका है कि यह शिक्षक संघ के पदाधिकारी आम शिक्षक का कैसे भला करेंगे। आज उन शिक्षक संघ के पदाधिकारी की दूषित मानसिकता का परिचय इस आदेश से पूरे शिक्षक समाज को मिल चुका है। धर्मेंद्र पटेल ने कहा कि शिक्षक, शिक्षामित्र और अनुदेशक मिलकर विद्यालयों में शिक्षण कार्य करते हैं यदि किसी भी प्रकार का लाभ विभाग द्वारा दिया जाए तो उसे किसी को भी अछूता न छोड़ा जाए अन्यथा की स्थिति में किसी खास संगठन को या संगठन के पदाधिकारियों को लाभ न दिया जाए। क्योंकि हम सभी का काम विद्यालय में पढ़ाना है न की नेतागिरी करना। हम अपने साथियों की समस्या का निराकरण अपने संगठन के माध्यम से विद्यालय समय के उपरांत भी अधिकारियों से मिलकर करा सकते हैं। इसके लिए हमें अलग से किसी भी प्रकार की विभाग की मेहरबानी की आवश्यकता नहीं है।

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